Monday, April 30, 2012

फिर पति-पत्नी के रिश्ता बोझ नहीं रहता

love marriage
राम-सीता, शिव-पार्वती जैसे पात्रों से इस रिश्ते की बारीकियां सीखी जा सकती हैं। राम सीता का दांपत्य और शिव पार्वती की गृहस्थी दोनों ही प्रेरणास्पद है। राम ने धनुष तोड़कर सीता से विवाह किया। धनुष अहंकार का प्रतीक है। हमेशा तना रहता है और जब भी बाण चलाता है किसी के प्राण ही लेता है। अहंकार भी हमारे जीवन में ऐसा ही है। जब तक हमारे भीतर अहंकार है हम किसी के प्रति प्रेम, दया, सौहार्द, विश्वास और करूणा जैसी भावनाओं से जुड़ ही नहीं सकते। दाम्पत्य के लिए ये भावनाएं जरूरी हैं। राम ने पहले अहंकार को तोडा फिर सीता से विवाह किया। तभी कई परेशानियों के बाद भी उनका दाम्पत्य आदर्श और दिव्य ही रहा।अब शिव-पार्वती के दाम्पत्य को देखें। शिव के लिए पार्वती ने कड़ी तपस्या की। कई मुसीबतें झेलीं, कड़े उपवास किए। कई देवताओं ने बहकाया भी, शिव के विरोध में बातें भी कहीं लेकिन पार्वती का विश्वास नहीं डिगा। न ही पार्वती का समर्पण कम हुआ। विष्णु ने भी विवाह का प्रस्ताव भेजा, जिनके पास अपार वैभव था, लेकिन पार्वती ने सारी परिस्थितियों में शिव को ही चुना। ऐसा समर्पण, श्रद्धा, विश्वास और प्रेम अगर हमारी गृहस्थी में हो तो फिर किसी भी परिस्थिति में कभी हमारा रिश्ता कमजोर नहीं होगा। ये हमारे लिए आदर्श हैं। अगर स्त्री-पुरुष या पति-पत्नी के बीच ऐसा रिश्ता है तो फिर वो कभी बोझ नहीं हो सकता है। कई लोग शादी को मुसीबत या जंजाल कहते हैं। आज कम ही ऐसे पति-पत्नी होंगे जो पूरी इमानदारी से यह स्वीकार करते हों कि उनका दाम्पत्य पूरी तरह सुखी और खुशियों भरा है। गृहस्थी को सफलता पूर्वक चलाना भी एक कला भी है और चुनौती भी। कुछ बातें होती हैं जो जीवन उतार ली जाएं तो फिर गृहस्थी आसानी से चल जाती है

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