Saturday, April 21, 2012

फिल्म समीक्षा: दिल को छू जाएगी ‘विकी डोनर’


19 अप्रैल 2012
bollywoodhungama.com 
तरण आदर्श 

फिल्म: विकी डोनर
निर्देशक: सुजीत सिर्कर 
कलाकार: आयुष्यमान खुराना, डॉली अहलुवालिया, यामी गौतम, अन्नु कपूर
इस हफ्ते बतौर निर्माता जॉन अब्राहम की पहली फिल्म 'विकी डोनर' ने सिनेमाघरो का रुख किया है। 
फिल्म का मुख्य पात्र विकी अरोड़ा (आयुष्यमान खुराना) एक जवान, खूबसूरत पंजाबी लड़का है। विकी के पिता का देहांत हो चुका है और अपनी विधवा मां डॉली (डॉली अहलुवालिया) का वह अकेला सहारा है। लेकिन वह भी खुद ऐसी स्थिति में नहीं है कि अपनी मां को आर्थिक मदद दे सके। डॉली अपने घर में ही छोटा सा ब्यूटी पार्लर चलाती है। 

एक दिन अचानक विकी की जिंदगी में डॉ चड्डा की एंट्री हो जाती है। 

डॉ चड्डा को लगता है कि विकी वह स्पर्म डोनर हो सकता है, जिसकी उसे तलाथ थी। हालांकि डॉ के बहुत समझाने के बावजूद विकी इस काम के लिए तैयार नहीं होता। लेकिन डॉक्टर के बहुत समझाने पर विकी को घुटने टेकने पड़ते हैं और वो स्पर्म डोनेशन (शुक्राणु दान) के लिए तैयार हो जाता है। 
भाई, स्‍पर्म डोनेट करने में बुराई क्या है?: जॉन

वक्त गुजरता है और विकी की जिंदगी में अस्मिता राय (यामी गौतम) आती है। विकी अस्मिता को प्यार करने लगता है। लेकिन दोनों के प्रेम संबंधों में तब खटास आ जाती है जब यामी को यह पता चलता है कि विकी एक स्पर्म डोनर है। 

आयुष्यमान सहज दिखे। उन्होंने अपनी भूमिका के साथ पूरा न्याय किया। अन्नु कपूर का काम भी शानदार रहा। 

विकी डोनर एक साहसिक फिल्म है, जिसमें एक संवेदनशील मुद्दे को उकेरने की कोशिश की गई है। यह एक छोटे बजट की लेकिन दिल से बनाई गई फिल्म है। फिल्म हंसाती भी है, भावुक भी करती है। अंग प्रदर्शन को बढ़ावा देती फिल्मों के इस दौर में ‘विकी डोनर’ बॉलीवुड में एक नई सार्थक संभावनाएं जगाती नजर आती है। 
3.5/5

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