Friday, September 14, 2012

खूबसूरती ही नहीं, स्त्री की इस बात से भी तय होती है पुरुष की सफलता

शास्त्रों में शिव-शक्ति, प्रकृति-पुरुष या अर्द्धनारीश्वर के रूप में स्त्री-पुरुष को एक दूसरे की ताकत ही बताया गया है। यही भाव सांसारिक जीवन में, खासतौर पर गृहस्थ जीवन में स्त्री-पुरुष के लिए एक-दूसरे के लिए कायम रखना खुशहाली का बड़ा सूत्र है। दरअसल हिन्दू धर्मशास्त्रों में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम व्यवस्था के रूप में जीवन यात्रा के चार पड़ाव माने गए हैं।
 इनमें संयम व अनुशासन अपनाकर चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को पाने के लक्ष्य नियत हैं। स्त्री-पुरुष दोनों के लिए ही गृहस्थाश्रम का पड़ाव बेहद अहम है। गृहस्थी का मूल भी स्त्री को माना गया है, हर काम में स्त्री की मौजूदगी या भागीदारी अहम होती है। इसलिए औरत की काबिलियत और कमजोरी आदमी के जीवन की भी दिशा नियत करने वाली मानी गई है। शास्त्रों पर गौर करें तो लक्ष्मीनारायण, सीताराम या राधेकृष्ण जैसी नाम देवनाम स्तुतियों में देवी शक्ति का पहले नाम लिया जाना भी स्त्री शक्ति की अहमियत उजागर करता है। यही वजह है कि भविष्य पुराण में सुखी गृहस्थ जीवन के लिए पुरुष का सुंदरता से ज्यादा अहमियत रखने वाली खास खूबी वाली स्त्री के साथ शादी करना बड़े सुख देने वाला बताया गया है, जो केवल स्त्री ही नहीं, बल्कि पुरूष की भी ताकत बन उसे सिद्धि, खुशहाली और ख्य़ाति दिलाने वाले साबित होते हैं।

क्या है वह खास बात जो औरत के सौंदर्य को और बढ़ा देती है व पुरुष की सफलता की राह आसान बनाती है। लिखा गया है कि - लक्षणेभ्य: प्रशस्तं तु स्त्रीणां सद्वृत्तमुच्यते। सद्वृत्तयुक्ता या स्त्री सा प्रशस्ता न च लक्षणै:।। इस श्लोक में साफ संदेश है कि स्त्री के लक्षण, यानी सौंदर्य या रंग-रूप की तुलना में उसका सदाचार यानी अच्छा आचरण बेहतर है। अगर स्त्री का आचरण मर्यादित और गरिमामय नहीं है तो ऐसी स्त्री का रूपवती होना भी व्यर्थ या अपयश देने वाला होता है। इस तरह मर्यादित आचरण को स्त्री की ताकत व खूबी बताया गया है, जिसका साथ पाकर पुरुष भी खूब मान-सम्मान, यश व सफलता पाता है।