Sunday, April 22, 2012

शादियों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन गैरवाजिब

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र सरकार के शादियों के अनिवार्य पंजीकरण को मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने गैरवाजिब करार दिया है। बोर्ड का मानना है कि यह पूरी तरह अव्यावहारिक है और इससे आम आदमी की दिक्कतें बढ़ेगी। बेहतर तो यह होगा कि सरकार इस तरह की सूचनाएं शादी कराने वालों से जुटाए और अपने यहां पंजीकृत करे। बोर्ड ने शिक्षा का अधिकार कानून, वक्फ विधयेक और प्रत्यक्ष कर संहिता [डीटीसी] के कुछ प्रावधानों का विरोध करते हुए इसके खिलाफ चल रहे अपने आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया है।

मुंबई में मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की तीन दिन चली बैठक के बाद बोर्ड के प्रवक्ता अब्दुल रहीम कुरैशी ने कहा है कि केंद्र सरकार का शादियों के अनिवार्य पंजीकरण का फैसला पूरी तरह गलत है। गांव के लोगों को यह समझ में ही नहीं आएगा। इससे उनकी दिक्कतें ही बढ़ेंगी। बेहतर तो यह होगा कि सरकार यह काम शादी कराने वाले लोगों को सौंपे। बैठक में दिल्ली में पुरातत्व विभाग के अधीन आ गई मस्जिदों में नमाज की अनुमति देने की भी मांग की गई है।

कुरैशी ने कहा कि तीन दिन चले विचार-विमर्श में शिक्षा का अधिकार कानून, वक्फ बोर्ड एवं प्रत्यक्ष कर संहिता के प्रावधानों पर भी गहन चर्चा हुई। इन तीनों मुद्दों पर बोर्ड नवंबर माह से ही आंदोलन चला रहा है। इसे अब और तेज किया जाएगा। अपने आंदोलन के समर्थन में बोर्ड धर्मनिरपेक्ष दलों के पास जाकर उनका समर्थन मांगेगा। कुरैशी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून में मदरसों एवं अल्पसंख्यक संस्थानों को लेकर किए गए प्रावधानों से बोर्ड नाराज है और वह इसमें बदलाव चाहता है।

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